सखा न घरी
सखा न घरी, भुवन रिते
रातभरी मी तळमळते
किलबिल आली कानी खगांची
अजून न वाजे पाऊल ते
रातभरी मी तळमळते
किलबिल आली कानी खगांची
अजून न वाजे पाऊल ते
गीत | - | ग. दि. माडगूळकर |
संगीत | - | |
स्वर | - | जे. एल्. रानडे |
राग | - | जयजयवंती |
गीत प्रकार | - | भावगीत |