तेजा नभिं ज्या साहवेना
तेजा नभिं ज्या साहवेना,
तें देई मृदुला शोभा नयना ॥
सत्या कठोरा ज्या सोसवेना,
करि तेंचि तव मुख मधु मना ॥
बहु दु:ख संसार, परि दे जनां
अति सौख्य साध्वीसंगें जाणा ॥
तें देई मृदुला शोभा नयना ॥
सत्या कठोरा ज्या सोसवेना,
करि तेंचि तव मुख मधु मना ॥
बहु दु:ख संसार, परि दे जनां
अति सौख्य साध्वीसंगें जाणा ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | गंधर्व नाटक मंडळी, हिराबाई बडोदेकर |
स्वर | - | गंगाधर लोंढे |
नाटक | - | संगीत विद्याहरण |
चाल | - | 'सांकल्पमे टीदो' या कानडी चालीवर. |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |