तिनिसांजा सखे मिळाल्या
तिनिसांजा सखे, मिळाल्या, देई वचन तुला
आजपासुनी जिवें अधिक तूं माझ्या हृदयाला.
कनकगोल हा मरीचिमाली जोडी जो सुयशा,
चक्रवाल हें पवित्र, ये जी शांत गभीर निशा,
त्रिलोकगामी मारुत, तैशा निर्मल दाहि दिशा-
साक्षी ऐसे अमर करुनि हे तव कर करिं धरिला.
नाद जसा वेणूंत, रस जसा सुंदर कवनांत,
गंध जसा सुमनांत, रस जसा बघ या द्राक्षांत,
पाणि जसें मोत्यांत, मनोहर वर्ण सुवर्णांत,
हृदयीं मी सांठवीं तुज तसा जीवित जों मजला.
आजपासुनी जिवें अधिक तूं माझ्या हृदयाला.
कनकगोल हा मरीचिमाली जोडी जो सुयशा,
चक्रवाल हें पवित्र, ये जी शांत गभीर निशा,
त्रिलोकगामी मारुत, तैशा निर्मल दाहि दिशा-
साक्षी ऐसे अमर करुनि हे तव कर करिं धरिला.
नाद जसा वेणूंत, रस जसा सुंदर कवनांत,
गंध जसा सुमनांत, रस जसा बघ या द्राक्षांत,
पाणि जसें मोत्यांत, मनोहर वर्ण सुवर्णांत,
हृदयीं मी सांठवीं तुज तसा जीवित जों मजला.
गीत | - | भा. रा. तांबे |
संगीत | - | पं. हृदयनाथ मंगेशकर |
स्वर | - | लता मंगेशकर |
राग | - | मिश्र यमन |
गीत प्रकार | - | भावगीत |
टीप - • काव्य रचना- १८ जुलै १९०२, इंदूर. |
कनक | - | सोने. |
कवन | - | काव्य. |
गभीर | - | गहन, खोल. |
गामी (गामिक) | - | जाणारा. |
चक्रवाल | - | क्षितिज. |
मरिचिमाली | - | सूर्य. |
मारुत | - | वायू. |
वेणु | - | बासरी. |
सुमन | - | फूल. |